Thursday, August 21, 2025

भारत की उड़ान -हाइपरसोनिक मिसाइलें: आधुनिक रक्षा तकनीक का एक अद्वितीय चमत्कार-Scramjet Engine

 भारत की उड़ान

DRDO conducts Scramjet Engine Ground Test

 Reference: PIB Release ID: 2094886

 


हाइपरसोनिक मिसाइलें: आधुनिक रक्षा तकनीक का एक अद्वितीय चमत्कार


हाइपरसोनिक मिसाइलें आधुनिक रक्षा तकनीक की दुनिया में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं। यह मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक, यानी मैक 5 या 5,400 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा करती हैं। इस अभूतपूर्व गति और प्रौद्योगिकी की मदद से ये मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों को चकमा देकर तीव्र और उच्च-प्रभाव वाले हमले कर सकती हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में कई चुनौतियाँ और उपलब्धियाँ शामिल हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है स्क्रैमजेट इंजन की भूमिका।


हाइपरसोनिक मिसाइलें क्या हैं?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी प्रौद्योगिकीय हथियार हैं, जो ध्वनि की गति से कई गुना तेज यात्रा करती हैं। इनकी असाधारण गति के साथ-साथ, इनका डिज़ाइन ऐसा होता है कि यह वायुमंडलीय दबाव और उच्च तापमान का सामना कर सकें। हाइपरसोनिक गति को वैज्ञानिक रूप से "मैक 5" से परिभाषित किया जाता है, जो ध्वनि की गति से पाँच गुना अधिक है। इसका मुख्य उद्देश्य तेजी से लक्ष्य को भेदना और प्रतिद्वंद्वी की वायु रक्षा प्रणाली को निष्प्रभावी करना है।


हाइपरसोनिक मिसाइलों की विशेषताएँ

  1. अत्यधिक गति:

    • हाइपरसोनिक मिसाइलें 5,400 किमी/घंटा या उससे अधिक की गति से चलती हैं। यह गति इन्हें पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कई गुना अधिक प्रभावी बनाती है।

  2. सटीकता और गतिशीलता:

    • यह मिसाइलें उच्च सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम होती हैं। इनके मार्ग को बीच में भी बदला जा सकता है, जिससे इनकी गतिशीलता बढ़ जाती है।

  3. एयर डिफेंस सिस्टम को मात देने की क्षमता:

    • मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियाँ इतनी तेज गति से चलने वाली मिसाइलों को ट्रैक करने या रोकने में सक्षम नहीं हैं।

  4. वायुगतिकीय डिज़ाइन:

    • हाइपरसोनिक मिसाइलों का डिज़ाइन ऐसा होता है कि यह वायुमंडलीय दबाव और तापमान का सामना करते हुए स्थिरता बनाए रख सकें।


स्क्रैमजेट इंजन की भूमिका

हाइपरसोनिक तकनीक का दिल स्क्रैमजेट इंजन है। स्क्रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) एक ऐसी प्रणाली है जो हवा को इंजन के अंदर खींचती है और उसमें सुपरसोनिक गति से दहन करती है। इस प्रक्रिया में कोई भी चलने वाले यांत्रिक हिस्से शामिल नहीं होते। यह प्रणाली न केवल उच्च गति प्राप्त करने में सहायक होती है, बल्कि ईंधन की खपत को भी कम करती है।

स्क्रैमजेट इंजन की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. सुपरसोनिक दहन:

    • इंजन के अंदर वायु और ईंधन का मिश्रण सुपरसोनिक गति से दहन करता है।

  2. फ्लेम स्टेबलाइज़ेशन तकनीक:

    • फ्लेम स्टेबलाइज़ेशन तकनीक का उपयोग इंजन के अंदर स्थिर दहन बनाए रखने के लिए किया जाता है, भले ही हवा की गति 1.5 किमी/सेकंड से अधिक हो।

  3. चलने वाले हिस्सों का अभाव:

    • इसमें कोई चलने वाले हिस्से नहीं होते, जिससे यह इंजन हल्का और टिकाऊ होता है।


भारत में हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का विकास

भारत में हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक के विकास में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की महत्वपूर्ण भूमिका है।

एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन का विकास:

भारत ने पहली बार स्वदेशी एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन विकसित किया है। यह विकास DRDL और उद्योग जगत के बीच एक साझेदारी का परिणाम है। इस ईंधन की विशेषता यह है कि यह अत्यधिक तापमान पर ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम है।

थर्मल बैरियर कोटिंग (TBC) तकनीक:

थर्मल बैरियर कोटिंग तकनीक का उपयोग स्क्रैमजेट इंजन को उच्च तापमान से बचाने के लिए किया जाता है। DRDL और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने मिलकर एक उन्नत सिरेमिक कोटिंग विकसित की है, जो स्टील के पिघलने के बिंदु से अधिक तापमान पर भी कार्य करने में सक्षम है।


थर्मल बैरियर कोटिंग की विशेषताएँ

  1. उच्च तापीय प्रतिरोध:

    • यह कोटिंग 3,000 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान को सहन कर सकती है।

  2. दीर्घकालिक प्रदर्शन:

    • कोटिंग का विशेष निर्माण इसे लंबे समय तक टिकाऊ बनाता है।

  3. विशेष जमाव तकनीक:

    • इस कोटिंग को स्क्रैमजेट इंजन के अंदर विशेष जमाव विधियों द्वारा लगाया जाता है, जिससे इंजन की दक्षता और आयु बढ़ जाती है।


हाइपरसोनिक मिसाइलों का भविष्य

हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास न केवल रक्षा के क्षेत्र में भारत को सशक्त बनाएगा, बल्कि अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में भी बढ़त दिलाएगा। ये मिसाइलें भविष्य में युद्धक्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।

आगामी संभावनाएँ:

  1. स्वदेशी प्रौद्योगिकी का विकास:

    • भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में लगातार प्रयासरत है और हाइपरसोनिक तकनीक में और सुधार की उम्मीद है।

  2. वैश्विक प्रतिस्पर्धा:

    • अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए, भारत इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

  3. नागरिक अनुप्रयोग:

    • हाइपरसोनिक तकनीक का उपयोग भविष्य में परिवहन और अंतरिक्ष अन्वेषण में भी किया जा सकता है।


निष्कर्ष

हाइपरसोनिक मिसाइलें आधुनिक युद्ध की रणनीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक हैं। इनकी अद्वितीय गति, सटीकता और वायुगतिकीय डिज़ाइन उन्हें पारंपरिक हथियार प्रणालियों से अलग और अत्यधिक प्रभावी बनाते हैं। भारत का इस क्षेत्र में हो रहा निरंतर विकास न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि देश को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जाएगा। DRDO, DST और उद्योग जगत के संयुक्त प्रयास इस दिशा में एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।


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