Thursday, August 21, 2025

Bridge Laying Tanks (BLT) for the Indian Army-भारत में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल

 

भारत में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारतीय रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस समझौते के तहत, भारी वाहन कारखाना (Heavy Vehicles Factory), जो कि आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड (Armoured Vehicle Nigam Limited) का एक घटक है, भारतीय सेना के लिए 47 टैंक-72 ब्रिज लेइंग टैंकों (Bridge Laying Tanks - BLT) की आपूर्ति करेगा। इस परियोजना की कुल लागत 1,560.52 करोड़ रुपये है। यह कदम न केवल देश की रक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाएगा, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी मजबूती प्रदान करेगा।

ब्रिज लेइंग टैंक (BLT) की भूमिका और महत्व

ब्रिज लेइंग टैंक (BLT) एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसका उपयोग यांत्रिक बलों द्वारा आक्रमण और रक्षा अभियानों के दौरान पुलों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है। यह उपकरण टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के बेड़े को युद्ध क्षेत्र में अधिक गतिशीलता और आक्रमण क्षमता प्रदान करता है। BLT की तकनीक और डिज़ाइन ऐसी होती है कि यह विषम परिस्थितियों में भी तेज़ी से काम कर सके। युद्ध के दौरान, जब प्राकृतिक पुलों की अनुपलब्धता होती है या दुश्मन द्वारा इन्हें नष्ट कर दिया जाता है, तब BLT का उपयोग तत्काल पुल तैयार करने में किया जाता है।

BLT की यह विशेषता इसे सेना के लिए अत्यंत आवश्यक बनाती है। यह उपकरण भारतीय सेना की ‘युद्ध क्षेत्र गतिशीलता’ को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे सेना को किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति में प्रभावी ढंग से कार्य करने में सहायता मिलती है।

‘मेक इन इंडिया’ पहल में BLT का योगदान

यह परियोजना ‘बाय (इंडियन-इंडीजेनसली डिज़ाइन्ड, डेवलप्ड एंड मैन्युफैक्चर्ड)’ श्रेणी के अंतर्गत आती है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ‘मेक इन इंडिया’ का उद्देश्य देश में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे विदेशी निर्भरता को कम किया जा सके और भारत आत्मनिर्भर बन सके।

BLT परियोजना के तहत, टैंक-72 को देश में डिज़ाइन और विकसित किया गया है। इस परियोजना में देशी तकनीक, उद्योग और कौशल का समावेश किया गया है। इससे न केवल देश की तकनीकी क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

रक्षा क्षेत्र में भारत की प्रगति

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। स्वदेशी हथियारों और उपकरणों का विकास देश की प्राथमिकताओं में से एक बन गया है।

  1. स्वदेशीकरण की दिशा में प्रगति: भारत ने हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस, अर्जुन टैंक, और विभिन्न प्रकार की मिसाइल प्रणालियों जैसे उपकरणों का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है।

  2. रक्षा निर्यात में वृद्धि: भारत ने रक्षा उपकरणों के निर्यात में भी वृद्धि की है। स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता ने वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाई है।

  3. रक्षा अनुसंधान एवं विकास: DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने आधुनिक हथियार प्रणालियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। AI, रोबोटिक्स, और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में भी प्रगति हो रही है।

  4. निजी क्षेत्र की भागीदारी: रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ रही है। ये कंपनियां स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत का लक्ष्य 2047 तक रक्षा क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करना है। BLT जैसी परियोजनाएँ इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इनसे न केवल देश की रक्षा तैयारियों में सुधार होगा, बल्कि देश की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति को भी गति मिलेगी।

निष्कर्ष

47 टैंक-72 ब्रिज लेइंग टैंकों की आपूर्ति का यह समझौता भारतीय सेना की ताकत और आत्मनिर्भरता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत, इस तरह की परियोजनाएँ भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में सहायक होंगी। यह कदम न केवल रक्षा क्षेत्र में बल्कि समग्र आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।


Ref: PIB- 2094857 21.01.2025

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