LPG (Liquefied Petroleum Gas) पाइपलाइन परियोजना भारत में एक महत्वपूर्ण योजना है जो LPG को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई है। यह योजना लगातार बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ ऊर्जा सुरक्षा के माध्यम से भारतीय गाँवों और शहरों में शुद्ध और सस्ती ऊर्जा पहुंचाने का उद्देश्य रखती है। इस परियोजना के माध्यम से, लक्ष्य है कि भारतीय नागरिकों को दैनिक जीवन में सुरक्षित और सुविधाजनक LPG सप्लाई प्राप्त हो।
पाइपलाइन परियोजना की शुरुआत:
LPG पाइपलाइन परियोजना की शुरुआत भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2015 में की गई थी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य था गाँवों और शहरों में LPG की पहुंच को बढ़ावा देना। इसके माध्यम से, भारतीय नागरिकों को दैनिक उपयोग के लिए सस्ती, सुरक्षित, और साफ LPG प्राप्त करने का लक्ष्य था।
पाइपलाइन परियोजना के मुख्य लाभ:
सुरक्षित ऊर्जा सप्लाई: LPG पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से, गाँवों और शहरों में लगभग 24x7 सुरक्षित और सुविधाजनक LPG सप्लाई उपलब्ध होती है।
पर्यावरण संरक्षण: LPG पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से, बेहतर उर्जा प्रबंधन के लिए पर्यावरण की सुरक्षा में सुधार होता है।
बेहतर वायवीय गुणवत्ता: लोगों को लगभग स्थाई सप्लाई द्वारा सुरक्षित और सस्ती LPG उपलब्ध होती है, जिससे घरेलू चूल्हों का उपयोग करने से वायवीय प्रदूषण में कमी होती है।
पाइपलाइन परियोजना के मुख्य प्रकार:
ग्रामीण LPG पाइपलाइन परियोजना (ग्रामीण LPG पाइपलाइन योजना): यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में LPG पाइपलाइन संरचना के लिए है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 2 करोड़ ग्राहकों को LPG सप्लाई की सुविधा प्रदान करना है।
शहरी LPG पाइपलाइन परियोजना (शहरी LPG पाइपलाइन योजना): यह योजना शहरी क्षेत्रों में LPG पाइपलाइन संरचना के लिए है। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में लगभग 1 करोड़ ग्राहकों को LPG सप्लाई की सुविधा प्रदान करना है।
LPG पाइपलाइन परियोजना का लाभ:
आर्थिक उपाय: LPG पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को सस्ती और सुरक्षित ऊर्जा पहुंचने का लाभ होता है।
पर्यावरण संरक्षण: LPG पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से, घरेलू चूल्हों का उपयोग करने से वायवीय प्रदूषण में कमी होती है, जिससे पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलती है।
समाजिक लाभ: LPG पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को सस्ती और सुरक्षित ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे उनका जीवन सुविधाजनक होता है।
समापन:
LPG पाइपलाइन परियोजना भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सस्ती, सुरक्षित, और स्वच्छ LPG सप्लाई प्रदान करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। इस परियोजना के माध्यम से, भारतीय नागरिकों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर ऊर्जा प्रबंधन की सुविधा प्रदान की जा रही है। यह योजना समृद्धि, सामाजिक समावेश, और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
एलपीजी
(लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) पाइपलाइन परियोजनाएं भारत में ऊर्जा वितरण के बुनियादी
ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह परियोजनाएं देश के भीतर एलपीजी की सुरक्षित,
कुशल और आर्थिक रूप से प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।
देश में एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने और ऊर्जा सुरक्षा
को बढ़ाने के लिए नीति स्तर पर सुधार और नई नीतियों की आवश्यकता है। यहाँ इस विषय पर
विस्तार से चर्चा की गई है।
एलपीजी पाइपलाइन परियोजना की मौजूदा स्थिति
भारत
में एलपीजी की मांग तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में। वर्तमान
में, एलपीजी वितरण मुख्य रूप से सिलेंडरों के माध्यम से किया जाता है, लेकिन पाइपलाइनों
के माध्यम से एलपीजी की आपूर्ति एक अधिक सुरक्षित और सतत समाधान हो सकता है। एलपीजी
पाइपलाइन परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति में निम्नलिखित प्रमुख पहलू शामिल हैं:
1.
समीक्षाधीन परियोजनाएँ: भारत में वर्तमान में कई एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाएं निर्माणाधीन
हैं, जैसे कोच्चि-मैंगलोर एलपीजी पाइपलाइन, परादीप-हैदराबाद एलपीजी पाइपलाइन आदि। इन
परियोजनाओं का उद्देश्य विभिन्न शहरों और कस्बों में एलपीजी की आपूर्ति को सुचारू और
सस्ती बनाना है।
2.
सुरक्षा और पर्यावरणीय मुद्दे: एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं में सुरक्षा और पर्यावरणीय
प्रभाव एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। दुर्घटनाओं को रोकने और पर्यावरणीय नुकसान
को कम करने के लिए सख्त सुरक्षा मानकों का पालन किया जाना चाहिए।
3.
लॉजिस्टिक्स और वितरण: एलपीजी पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तार ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों
तक पहुंचाना एक प्रमुख चुनौती है। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी लॉजिस्टिक्स और
वितरण नेटवर्क की आवश्यकता है कि देश के सभी हिस्सों में एलपीजी की निरंतर आपूर्ति
हो सके।
नीति स्तर पर सुधार की आवश्यकता
एलपीजी
पाइपलाइन परियोजनाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए नीति स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण
सुधार किए जा सकते हैं:
1.
नियामक ढांचे का सुदृढ़ीकरण: एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए एक सशक्त और स्पष्ट
नियामक ढांचा विकसित करना आवश्यक है, जिसमें सुरक्षा मानकों, परियोजना स्वीकृति प्रक्रियाओं,
और संचालन के दिशा-निर्देशों को सख्त किया जाए।
2.
पर्यावरणीय स्वीकृतियों को सरल बनाना: पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रियाओं को सरल और त्वरित
बनाना आवश्यक है, ताकि परियोजनाओं में अनावश्यक देरी से बचा जा सके और उन्हें समय पर
पूरा किया जा सके।
3.
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहन: एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी
भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां बनाई जानी चाहिए, ताकि निजी क्षेत्र की
विशेषज्ञता और निवेश को इस क्षेत्र में लाया जा सके।
4.
ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित: ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में एलपीजी पाइपलाइन
नेटवर्क के विस्तार के लिए विशेष प्रोत्साहन और सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इससे
ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी की उपलब्धता बढ़ेगी और जैव ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
5.
सुरक्षा और मानकीकरण: एलपीजी पाइपलाइन निर्माण और संचालन के लिए सख्त सुरक्षा मानकों
और मानकीकरण प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। यह दुर्घटनाओं को रोकने और उपभोक्ताओं
की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
नई नीतियों के प्रस्ताव
एलपीजी
पाइपलाइन परियोजनाओं को बढ़ावा देने और उनके कुशल कार्यान्वयन के लिए कुछ नई नीतियों
का प्रस्ताव किया जा सकता है:
1.
राष्ट्रीय एलपीजी पाइपलाइन नेटवर्क नीति: एक समग्र राष्ट्रीय एलपीजी पाइपलाइन नेटवर्क
नीति विकसित की जा सकती है, जो पूरे देश में पाइपलाइन नेटवर्क के विस्तार, संचालन,
और रखरखाव को निर्देशित करे। इस नीति में पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक योजना,
निवेश मॉडल, और सुरक्षा मानकों को शामिल किया जा सकता है।
2.
सुरक्षा सुधार और निगरानी: एलपीजी पाइपलाइन की सुरक्षा और निगरानी को सुदृढ़ करने के
लिए एक व्यापक सुरक्षा नीति लागू की जा सकती है, जिसमें नियमित निरीक्षण, रिसाव की
रोकथाम के उपाय, और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली को शामिल किया जाए।
3.
इको-फ्रेंडली टेक्नोलॉजी: एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं में पर्यावरणीय प्रभाव को कम
करने के लिए इको-फ्रेंडली तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान
किया जा सकता है। यह नीति एलपीजी पाइपलाइन बिछाने के दौरान पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित
करने में मदद करेगी।
4.
वित्तीय प्रोत्साहन: एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए विशेष वित्तीय प्रोत्साहन जैसे
कि टैक्स में छूट, सस्ती ऋण सुविधाएं, और सब्सिडी की व्यवस्था की जा सकती है। इससे
निवेशकों को इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
5.
स्थानीय समुदायों की भागीदारी: एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं के विकास और संचालन में
स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नीतियां विकसित की जा सकती हैं।
इससे परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, और परियोजना से प्रभावित होने
वाले समुदायों के साथ विश्वास निर्माण होगा।
6.
पाइपलाइन डेटा और सूचना प्रबंधन: एलपीजी पाइपलाइन नेटवर्क का बेहतर प्रबंधन करने के
लिए एक केंद्रीकृत डेटा और सूचना प्रबंधन प्रणाली स्थापित की जा सकती है। यह प्रणाली
परियोजनाओं की प्रगति, सुरक्षा, और संचालन संबंधी सूचनाओं को रिकॉर्ड और विश्लेषण करने
में मदद करेगी।
निष्कर्ष
एलपीजी
पाइपलाइन परियोजनाओं के विकास के लिए नीति सुधार और नई नीतियों की आवश्यकता है, जिससे
यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सके। सुरक्षा मानकों का
सुदृढ़ीकरण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी का प्रोत्साहन, और ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन
नेटवर्क के विस्तार जैसे सुधारों से एलपीजी पाइपलाइन परियोजनाओं की प्रभावशीलता और
स्थिरता में वृद्धि होगी।
नई
नीतियों के कार्यान्वयन से न केवल एलपीजी की उपलब्धता में सुधार होगा, बल्कि यह भी
सुनिश्चित किया जा सकेगा कि देश भर में ऊर्जा की आपूर्ति सुरक्षित, कुशल और पर्यावरणीय
दृष्टि से अनुकूल हो।
प्रधानमंत्री
विजयपुर-औरैया-फूलपुर पाइपलाइन परियोजना राष्ट्र को समर्पित करेंगे। 352
किलोमीटर लंबी पाइपलाइन 1750 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाई गई है। प्रधानमंत्री मुंबई नागपुर झारसुगुड़ा पाइपलाइन परियोजना के नागपुर-जबलपुर खंड (317 किमी) की आधारशिला भी रखेंगे। यह परियोजना 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बनेगी। गैस
पाइपलाइन परियोजनाओं से उद्योगों और वहां रहने वाले लोगों को स्वच्छ और
सस्ती प्राकृतिक गैस मिल सकेगी। इसके साथ ही इससे पर्यावरण उत्सर्जन को कम
करने में सफलता मिलेगी। प्रधानमंत्री जबलपुर में करीब 147 करोड़ रुपये की लागत से बने नये बॉटलिंग प्लांट का भी लोकार्पण
Petroleum
& Natural Gas Budget 2021-22
Extention of Ujjwala Scheme to cover 1 crore more beneficiaries
To add 100 more districts to the City Gas Distribution network in next 3
years
A new gas pipeline project in J&K
An independent Gas Transport System Operator to be set up for
facilitation and coordination of booking of common carrier capacity in
all-natural gas pipelines on a non-discriminatory open access basis
Steps by Government for Door-to-Door gas supply through pipeline
Providing
Piped Natural Gas (PNG) connections is a part of the development of
City Gas Distribution (CGD) network and the same is carried out by the
entities authorised by Petroleum and Natural Gas Regulatory Board
(PNGRB). PNGRB has authorized 307 Geographical Areas (GAs) covering
almost 100% of total geographical area of the country spread over around
733 districts in 34 states/UTs for the development of CGD network.
PNGRB has authorised 11 Geographical Areas (GAs) (including 3 GAs spread
over Bihar and Jharkhand) covering entire state of Jharkhand for
development of CGD network.
Government has taken various steps to enable growth of CGD sector in the country. These interalia include
- allocating domestic natural gas to CGD sector
- notification for supply of domestic gas through available mode (including cascade mode) for PNG purpose.
- Grant of Public Utility Status to CGD Projects.
- Guidelines for the use of PNG in Defence residential area/unit lines.
- Guidelines to Public Sector Enterprises to have provisions of PNG in their respective residential complexes.
- CPWD and NBCC to have provisions of PNG in all Government Residential Complexes.
In
addition, Government conducts regular interactions and meetings with
State Governments for the development of CGD network in respective
States and address challenges in this regard.
Ref: PIB/2099188
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