भारत के संस्कृति मंत्रालय
1. परिचय
भारत का संस्कृति मंत्रालय देश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने, संरक्षित करने और प्रचारित करने का कार्य करता है। यह मंत्रालय विभिन्न संस्थानों, योजनाओं और परियोजनाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने में सहायक सिद्ध हुआ है। इस दस्तावेज़ में हम मंत्रालय की उपलब्धियों, मील के पत्थरों, सफलताओं, चल रही परियोजनाओं और भविष्य की योजनाओं का विश्लेषण करेंगे।
2. संस्कृति मंत्रालय का इतिहास और उद्देश्य
संस्कृति मंत्रालय की स्थापना 2006 में एक स्वतंत्र इकाई के रूप में की गई थी। इससे पहले, यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता था। मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार करना है।
इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:
ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों का संरक्षण
पारंपरिक कलाओं और कलाकारों को सहयोग
साहित्य, संगीत और रंगमंच का संवर्धन
अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना
डिजिटल इंडिया के तहत सांस्कृतिक दस्तावेजों का डिजिटलीकरण
3. प्रमुख संस्थान और निकाय
संस्कृति मंत्रालय के तहत कई संस्थान कार्यरत हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में योगदान दे रहे हैं। प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI): यह संस्था देश के ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण का कार्य करती है।
राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India): यह संस्था ऐतिहासिक दस्तावेजों और अभिलेखों के संरक्षण का कार्य करती है।
ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी, और संगीत नाटक अकादमी: ये संस्थाएँ क्रमशः चित्रकला, साहित्य और नृत्य-संगीत से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA): यह संस्था कला, संस्कृति और इतिहास के शोध को प्रोत्साहित करती है।
4. उपलब्धियाँ और मील के पत्थर
संस्कृति मंत्रालय ने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। इनमें प्रमुख हैं:
संरक्षित स्मारकों की संख्या में वृद्धि: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत कई नए स्मारकों को संरक्षित सूची में जोड़ा गया।
'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' अभियान: इस अभियान के तहत विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विविधताओं को एक मंच पर लाया गया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कला और संस्कृति का प्रचार: भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा विभिन्न देशों में भारतीय कला और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया।
नेशनल मिशन ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड एंटीक्विटीज: इस मिशन के तहत 1.5 लाख से अधिक पुरातात्विक अवशेषों का दस्तावेजीकरण किया गया।
5. प्रमुख सफलताएँ और कहानियाँ
'हर घर तिरंगा' अभियान: भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर इस अभियान को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया।
कुम्भ मेला को यूनेस्को की विरासत सूची में स्थान: कुम्भ मेले को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर' के रूप में मान्यता मिली।
कला संगम परियोजना: पारंपरिक कलाकारों को डिजिटल मंच पर लाने की पहल।
6. वर्तमान में चल रही परियोजनाएँ
संस्कृति मंत्रालय वर्तमान में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है, जिनमें प्रमुख हैं:
डिजिटल इंडिया कल्चरल रिसोर्स (DICR): यह परियोजना भारतीय कला और विरासत को डिजिटल रूप में संरक्षित करने के लिए चलाई जा रही है।
राष्ट्रीय संस्कृति निधि (NCF): इसके तहत विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
भारतीय ज्ञान परंपरा संरक्षण अभियान: इसमें आयुर्वेद, योग, ज्योतिष और अन्य पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है।
7. भविष्य की योजनाएँ और दृष्टिकोण
मंत्रालय आने वाले वर्षों में निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बना रहा है:
सांस्कृतिक विरासत का सतत विकास: पारंपरिक कलाओं को नई तकनीकों के साथ जोड़ना।
ग्रामीण क्षेत्रों में सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना: स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करना।
संस्कृति और पर्यटन का समावेश: सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नए मार्गों और उत्सवों का आयोजन।
कला और संस्कृति को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करना।
8. निष्कर्ष
भारत का संस्कृति मंत्रालय भारतीय विरासत और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत है। इसकी विभिन्न योजनाएँ और परियोजनाएँ देश की सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखते हुए वैश्विक स्तर पर इसे पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। आगे चलकर, सरकार के डिजिटल और समावेशी प्रयास भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में नए आयाम जोड़ेंगे।
No comments:
Post a Comment