उपदान संदाय अधिनियम 1972 (Payment of Gratuity Act, 1972)
Gratuity : नौकरी पेशा व्यक्तियों को रिटायरमेंट या बीमारी के कारण नौकरी नहीं कर पाने के कारण एक निश्चित धनराशि दी जाती है। यह धनराशि उस नियोजक द्वारा दी जाती है जिस नियोजक के पास में व्यक्ति नौकरी कर रहा था।
Penalty on Employer on non Payment of Gratuity or Harassments of employee for settlement of Gratuity
किसी कर्मचारी को उपदान किए जाने के संबंध में कोई नुकसान पहुंचाया जाए तो ऐसी परिस्थिति में 1 वर्ष तक का कारावास रखा गया है। ऐसा कारावास नियोजक यानी संस्था के कर्ताधर्ता को दिया जाएगा।
Time for Gratuity Settlement by Employer - 30 Days
अधिनियम के अंतर्गत उपदान का संदाय करने हेतु नियोजक को 30 दिन का समय दिया गया है। कर्मचारी जिस दिन से उपदान के संदाय हेतु आवेदन जमा करता है उससे 30 दिन की अवधि के भीतर नियोजक को उपदान का संदाय कर देना चाहिए। यदि वह उपदान का संदाय इस समय अवधि के भीतर नहीं करता है। उसके बाद कुछ समय और लेता है तो ऐसी परिस्थिति में नियोजक को कर्मचारी को एक निश्चित दर से ब्याज देना होगा।
Employee क्या कर सकता हैं यदि Employer Gratuity settlement करने में दिक़्क़्क़त करे
यदि कोई कंपनी ग्रेच्युटी देने से मना करे तो क्या करें
Gratuity की वसूली कैसे होती है।
यदि कर्मचारी द्वारा नियोजक को उपदान के संदाय हेतु आवेदन किया जाता है और नियोजक कर्मचारी को उपदान का संदाय नहीं करता है। ऐसी परिस्थिति में नियोजक की शिकायत यदि नियंत्रक अधिकारी को की जाती है तो वह प्राधिकारी जिले के कलेक्टर को यह प्रमाण पत्र जारी करेगा कि वह भू राजस्व की वसूली की तरह ग्रेज्युटी की रकम को वसूल करें तथा वसूल करके उस रकम को कर्मचारी को प्रदान करे।
सामाजिक सुरक्षा संहिता 2019 (Social Security 2019) चैप्टर 5 :
सामाजिक सुरक्षा संहिता में कहा गया है कि कर्मचारी के हर पूर्ण साल की सर्विस पर ग्रैच्युटी 15 दिन की सैलरी पर आधारित होती है. हर पूरे साल या 6 महीने से ज्यादा के समय के लिए कर्मचारी को ग्रेच्युटी 15 दिन की सैलरी की दर पर या केंद्र सरकार के किसी नोटिफिकेशन में तय किए गए दिनों के आधार पर मिलेगी.
ग्रेच्युटी कब मिलती है? : 1. सेवानिवृत्ति होने पर 2. दुर्घटना या बीमारी की वजह से मौत या अपंगता के कारण 3. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर 4. छंटनी होने पर 5. इस्तीफ़ा देने पर 6. नौकरी से निकाल दिया जाने पर।
ग्रेच्युटी लेने के लिए कौन सा फॉर्म भरना होता है? : कंपनी को ज्वाइन करते वक़्त कर्मचारी को फॉर्म “F” भर कर उसमे अपने घर के किसी भी सदस्य को नॉमिनी बनाना होता है। यहाँ पर यह बात बताना भी जरूरी है कि यदि कंपनी घाटे में चल रही हो तो भी उसे ग्रेच्युटी राशि का भुगतान करना होगा।
Calculation of Gratuity
15 X {(Basic Salary+ DA+ Sales Commission) X duration of work (in years) } / 26
15 X पिछली सैलरी X काम करने की अवधि) भाग 26 यहां पिछली सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और बिक्री पर मिलने वाला कमीशन है।
Maximum Amount of Gratuity
2018 में के संशोधन के बाद इस सीमा को बढ़ाकर ₹2000000 कर दिया गया है अब मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक ₹2000000 तक ग्रेच्युटी की रकम हो सकती है।
कौन सी कंपनी Gratuity देने के लिए वचनबद्ध होनी चाहिए।
नियोजक जिनमें कर्मचारियों की संख्या 10 से अधिक है, वह इस अधिनियम के अधीन नियोजक कहलाएंगे।
10 कर्मचारियों से अधिक काम करने वाली संस्थाएं इस अधिनियम के अंतर्गत शासित होगी तथा उन्हें अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी की धनराशि देना होगी।
कारखाने, खदान, बागान, दुकान और वह सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्था जो केंद्रीय राज्य सरकारों तथा लोकल अथॉरिटी आदि।
ग्रेच्युटी पर कितना कर लगता है? : निजी कर्मचारियों को जब ग्रेच्युटी उनके नौकरी करते समय (रिटायरमेंट के पहले तक) मिलती है, तो उनकी ग्रेच्युटी पर टैक्स लगता है क्योंकि यह उनके वेतन के अंतर्गत आता है लेकिन सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी उनकी सेवानिवृत्ति, मृत्यु या पेंशन के तौर मिलती है और उस पर टैक्स भी नहीं लगता है। श्रम मंत्रालय के नये नियमों के अनुसार संगठित क्षेत्र के कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 20 लाख रुपए तक के कर मुक्त ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे इससे पहले यह सीमा 10 लाख रुपये थी।