Thursday, August 22, 2024

बेरोजगारी -नीति स्तरीय सुधार,नई नीतियां,

 

जब कोरोना में लोगो की सैलरी आधी हो गई तो सरकार का टैक्स ओर GST रेट क्यों नही।सरकार का टैक्स मोह कब खत्म होगा।आयकर विभाग कमाई होने पर लगता है टैक्स। तो नैतिकता के आधार पर जॉब न होने की कंडीशन में हर महीने महगाई भत्ता भी देना सरकार की जिम्मेदारी है ।

 

जब हमारे अच्छे दिनों में सरकार  इनकम टैक्स लगाकर भगीदारी चाहती है  तो हमारे बुरे दिनों ने भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को महगाई भत्ता देना होगा।

भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है, जो आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है। बेरोजगारी से निपटने के लिए नीति स्तरीय सुधार और नई नीतियों की आवश्यकता है, जो न केवल रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दें बल्कि कार्यबल की गुणवत्ता और उत्पादकता में भी सुधार करें। इस संदर्भ में, मौजूदा स्थिति का विश्लेषण, सुधार की आवश्यकता, और नई नीतियों के संभावित सुझावों पर चर्चा की गई है।

 

 बेरोजगारी की मौजूदा स्थिति

 

भारत में बेरोजगारी का स्तर समय-समय पर बदलता रहता है, लेकिन यह एक स्थायी समस्या बनी हुई है। वर्तमान में बेरोजगारी के कई पहलू सामने आते हैं:

 

1. शहरी और ग्रामीण बेरोजगारी: भारत में बेरोजगारी की समस्या शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखी जा सकती है, लेकिन इन दोनों क्षेत्रों की समस्याएं अलग-अलग हैं। शहरी क्षेत्रों में शिक्षित युवा बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी बेरोजगारी और आंशिक बेरोजगारी प्रमुख समस्याएं हैं।

 

2. कौशल और रोजगार के बीच असंतुलन: देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके पास रोजगार के लिए आवश्यक कौशल नहीं हैं। दूसरी ओर, उद्योगों को प्रशिक्षित और कुशल कार्यबल की आवश्यकता है, जो उपलब्ध नहीं है।

 

3. महिलाओं में बेरोजगारी: महिलाओं में बेरोजगारी दर पुरुषों की तुलना में अधिक है। महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर भेदभाव, सुरक्षा की कमी, और काम के अवसरों की सीमितता इस समस्या के प्रमुख कारण हैं।

 

4. आकस्मिक और असंगठित रोजगार: भारत में एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, जहां रोजगार सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की कमी है। इससे रोजगार की गुणवत्ता और स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 

 नीति स्तरीय सुधार की आवश्यकता

 

बेरोजगारी को कम करने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नीति स्तरीय सुधार आवश्यक हैं:

 

1. शिक्षा और कौशल विकास में सुधार: शिक्षा प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है ताकि छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल मिल सके। इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

2. लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन: लघु और मध्यम उद्योग (MSME) सेक्टर में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने की क्षमता है। इन उद्योगों को वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता, और बाजार तक पहुंच में सुधार के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

 

3. महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए विशेष नीतियों की आवश्यकता है। इसके तहत महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा और समान अवसर सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

 

4. रोजगार गारंटी योजनाओं का विस्तार: मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) जैसी योजनाओं का विस्तार करके ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना विकसित की जा सकती है।

 

5. आधारभूत ढांचे का विकास: आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निवेश को बढ़ावा देना, जैसे कि सड़कें, रेलवे, और ऊर्जा परियोजनाएं, रोजगार के अवसर पैदा कर सकती हैं। यह न केवल रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान करेगा।

 

6. नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन: नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता है। स्टार्टअप्स और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए निवेशकों के लिए कर में रियायतें, सस्ती वित्तीय सहायता, और बुनियादी ढांचे की सुविधा प्रदान की जा सकती है।

 

 नई नीतियों के प्रस्ताव

 

बेरोजगारी से निपटने और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कुछ नई नीतियों का प्रस्ताव किया जा सकता है:

 

1. राष्ट्रीय रोजगार नीति: एक समग्र राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाई जा सकती है, जो रोजगार सृजन के सभी पहलुओं को कवर करे। इसमें शिक्षा और कौशल विकास, उद्योगों को प्रोत्साहन, महिला सशक्तिकरण, और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपायों का समावेश हो सकता है।

 

2. स्टार्टअप और नवाचार प्रोत्साहन नीति: स्टार्टअप्स और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष नीति बनाई जा सकती है, जिसमें उद्यमियों को वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता, और बाजार तक पहुंच प्रदान की जाए। यह नीति विशेष रूप से युवा उद्यमियों और महिलाओं के लिए लाभकारी हो सकती है।

 

3. शहरी रोजगार गारंटी योजना: ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी क्षेत्रों में भी एक रोजगार गारंटी योजना लागू की जा सकती है। इस योजना के तहत, शहरों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

 

4. डिजिटल और गिग इकॉनमी को बढ़ावा: डिजिटल अर्थव्यवस्था और गिग इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए विशेष नीतियां विकसित की जा सकती हैं। इसके तहत, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्यरत श्रमिकों के लिए सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।

 

5. ग्रीन जॉब्स और सतत विकास: ग्रीन जॉब्स, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, और सतत कृषि में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता है। इससे पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

 

6. क्षेत्रीय विकास और विकेंद्रीकरण: क्षेत्रीय विकास और विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाई जा सकती हैं, जिससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। इसके तहत, क्षेत्रीय औद्योगिक हब और क्लस्टर्स का विकास किया जा सकता है।

 

 निष्कर्ष

 

बेरोजगारी से निपटने के लिए नीति स्तरीय सुधार और नई नीतियों की आवश्यकता है, जो रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और कार्यबल की गुणवत्ता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करें।

 

शिक्षा और कौशल विकास में सुधार, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन, महिला सशक्तिकरण, और नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने वाली नीतियां इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। इसके साथ ही, रोजगार गारंटी योजनाओं का विस्तार और आधारभूत ढांचे का विकास भी रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

 

नई नीतियों के कार्यान्वयन से न केवल बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा, बल्कि देश की आर्थिक विकास दर में भी वृद्धि होगी, जिससे सामाजिक और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होगी।

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