Friday, October 20, 2023

महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप

 

"महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप" (Women Self-Help Group) एक सामुहिक वित्तीय और सामाजिक पहल है जो मुख्य रूप से महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक स्वायत्तता को बढ़ावा देने के लिए उनके साथियों के साथ एक साथ काम करने के आधार पर आधारित है। इस प्रमुख उद्देश्यों में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. आर्थिक स्वायत्तता: महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। ये ग्रुप्स अपने सदस्यों के बीच सामूहिक बचत और ऋण व्यवस्था का प्रबंधन करते हैं, जिससे उन्हें ऋण प्राप्त करने और व्यापार करने के लिए संकट से बाहर निकलने का अवसर मिलता है।

  2. सामाजिक सहमति: महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स महिलाओं को सामाजिक रूप से भी मजबूत करते हैं। ये ग्रुप्स बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और औद्योगिक ज्ञान में सामूहिक समर्थन प्रदान करते हैं.

  3. कौशल विकास: महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स अपने सदस्यों को कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ताकि वे अधिक आर्थिक और सामाजिक स्वायत्तता प्राप्त कर सकें।

  4. उद्यमिता की संवेदनशीलता: ये ग्रुप्स महिलाओं की उद्यमिता और उत्पादकता को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे वे विभिन्न व्यापारिक या व्यवसायिक गतिविधियों में सफलता प्राप्त कर सकें।

     

    उदाहरण: भारत में, "सेल्फ हेल्प ग्रुप्स" का प्रचलन बहुत व्यापक है। इन ग्रुप्स के तहत, समूह के सदस्य नियमित रूप से मिलकर बचत करते हैं  

    "महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप" (Women Self-Help Groups) एक सामाजिक और आर्थिक सुधार की पहल है जो महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का पथ प्रदान करती है। यह ग्रुप महिलाओं के बीच एक सामूहिक संगठन होता है जिसका मुख्य उद्देश्य उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। यह पहल भारत के गांवों और शहरों में समाज में महिलाओं की बढ़ती हुई भूमिका को मजबूती से बनाए रखने का प्रयास करती है।

    महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के लाभ:

  5. आत्मनिर्भरता की संभावना: महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स महिलाओं को विभिन्न आत्मनिर्भरता के प्रोजेक्ट्स के लिए उत्साहित करते हैं जैसे कि बुनाई, रसोई उपयोगिता, किसानी, बाल विकास इत्यादि।

  6. आर्थिक समृद्धि: इन ग्रुप्स के माध्यम से महिलाएं अधिक उत्पादन कर सकती हैं और अधिक आर्थिक वृद्धि की संभावना होती है।

  7. सामाजिक सशक्तिकरण: यह ग्रुप्स महिलाओं को समाज में समाजिक रूप से सशक्त करने का माध्यम प्रदान करते हैं, जिससे वह अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं।

  8. स्वास्थ्य और शिक्षा: इन ग्रुप्स के माध्यम से सामाजिक संजाल के माध्यम से स्वास्थ्य और शिक्षा संक्रमित हो सकती है।

  9. क्रियाशीलता और विकास: महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के माध्यम से नई क्रियाशीलता विकसित की जा सकती है और उन्हें विकसित करने के लिए सहायता प्रदान की जा सकती है।

भारतीय उदाहरण:

  1. सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) योजना: भारत सरकार ने महिलाओं के लिए "सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG)" योजना शुरू की है, जिसमें समृद्धि से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के लिए महिला समूहों को सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इन SHGs के माध्यम से, महिलाएं स्वावलंबी होने के लिए अपने व्यवसायों की शुरुआत करती हैं और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनती हैं.

  2. कुड्डालुर महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप: तमिलनाडु के कुड्डालुर जिले में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के माध्यम से कई महिलाएं अच्छी तरह से प्रशिक्षित हो रही हैं और अपने कौशलों का उपयोग करने के लिए उद्यमन हो रही हैं

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