1902 में, एक प्रोफ़ेसर ने अपने छात्र से पूछा कि क्या ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज़ भगवान ने बनाई है?
छात्र ने उत्तर दिया: हाँ
प्रोफ़ेसर ने फिर पूछा: तो बुराई के बारे में क्या?
क्या भगवान ने बुराई भी बनाई है?
छात्र चुप हो गया…
फिर छात्र ने अनुमति माँगी कि क्या वह भी एक प्रश्न पूछ सकता है?
प्रोफ़ेसर ने उसे अनुमति दे दी।
छात्र ने पूछा: क्या ठंड का अस्तित्व है?
प्रोफ़ेसर ने कहा: हाँ! क्या तुम्हें ठंड महसूस नहीं होती?
छात्र ने कहा: माफ़ कीजिए सर, आप गलत हैं। ठंड नाम की कोई चीज़ नहीं होती।
ठंड तो सिर्फ़ ऊष्मा की अनुपस्थिति है।
छात्र ने फिर पूछा: क्या अंधकार का अस्तित्व है?
प्रोफ़ेसर बोले: हाँ!
छात्र ने उत्तर दिया: आप फिर गलत हैं सर। अंधकार नाम की भी कोई चीज़ नहीं होती।
यह तो केवल प्रकाश की अनुपस्थिति है।
सर, हम हमेशा ऊष्मा और प्रकाश का अध्ययन करते हैं, न कि ठंड और अंधकार का।
ठीक इसी प्रकार बुराई का भी कोई अस्तित्व नहीं है।
वह तो बस प्रेम, आस्था और भगवान में सच्चे विश्वास की अनुपस्थिति है।
वह छात्र अल्बर्ट आइंस्टीन थे…!!!
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