The EU Deforestation Regulation (EUDR) prohibits the trading of wood-, rubber-, cattle-, cocoa-, coffee-, palm-oil-, and soya-based products in Europe that contribute to deforestation and/or that are legally produced.
The EU Deforestation Regulation (EUDR) और भारत पर इसका प्रभाव
1. परिचय
यूरोपीय संघ (EU) ने हाल ही में "The EU Deforestation Regulation" (EUDR) लागू किया है, जिसका उद्देश्य वैश्विक वनों की कटाई को रोकना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। इस कानून के तहत, EU में निर्यात किए जाने वाले कुछ विशेष उत्पादों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि वे वनों की कटाई से जुड़ी गतिविधियों का समर्थन नहीं करते। यह कानून उन देशों को सीधे प्रभावित करता है जो कृषि, लकड़ी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का EU को निर्यात करते हैं। भारत भी इस कानून से प्रभावित होने वाले प्रमुख देशों में शामिल है।
2. EUDR का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वनों की कटाई वैश्विक जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है। EU ने पहले भी वनों की कटाई को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे कि Forest Law Enforcement, Governance and Trade (FLEGT) और EU Timber Regulation (EUTR)। लेकिन इन प्रयासों से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, इसलिए EUDR को लागू किया गया।
3. EUDR के प्रमुख प्रावधान
EUDR के तहत कंपनियों को यह प्रमाण देना होगा कि उनके उत्पादों के उत्पादन में किसी भी प्रकार की अवैध वनों की कटाई शामिल नहीं है। इसमें निम्नलिखित उत्पाद शामिल हैं:
सोयाबीन
ताड़ का तेल (Palm Oil)
लकड़ी और फर्नीचर
कॉफी
कोको
रबर
मांस उत्पाद
कंपनियों को अपने उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला को पारदर्शी बनाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे Deforestation-Free हैं। गैर-अनुपालन पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।
4. EUDR के तहत प्रभावित उद्योग
भारत EU को कई ऐसे उत्पाद निर्यात करता है जो इस कानून के दायरे में आते हैं। इससे निम्नलिखित क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ सकता है:
कृषि क्षेत्र: भारत में सोयाबीन, ताड़ तेल और कॉफी जैसे उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। यदि भारतीय उत्पादक EUDR की शर्तों को पूरा नहीं कर पाते, तो EU निर्यात पर असर पड़ेगा।
लकड़ी और फर्नीचर उद्योग: भारतीय फर्नीचर और लकड़ी उद्योग को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को अधिक पारदर्शी बनाना होगा।
रबर और चमड़ा उद्योग: EUDR का प्रभाव भारतीय रबर उद्योग पर भी पड़ सकता है, क्योंकि EU भारतीय रबर का एक प्रमुख आयातक है।
5. भारत पर EUDR का प्रभाव
भारत पर इस कानून के प्रभाव को कई पहलुओं से देखा जा सकता है:
निर्यात पर प्रभाव: EU भारतीय उत्पादों का एक बड़ा बाजार है। यदि भारतीय निर्यातक EUDR की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाए, तो व्यापार प्रभावित होगा।
लागत में वृद्धि: कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को पारदर्शी बनाने के लिए अधिक निवेश करना होगा।
किसानों पर प्रभाव: छोटे और मध्यम किसान जो पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर निर्भर हैं, उन्हें EUDR के नए मानकों को अपनाने में कठिनाई हो सकती है।
व्यापार संबंधों पर प्रभाव: EU और भारत के व्यापार संबंधों पर दबाव बढ़ सकता है।
6. भारतीय उद्योगों के लिए संभावनाएँ और समाधान
सस्टेनेबल खेती: भारत को अपनी कृषि पद्धतियों को अधिक पारदर्शी और पर्यावरण-अनुकूल बनाना होगा।
प्रमाणीकरण प्रक्रिया को अपनाना: कंपनियों को Forest Stewardship Council (FSC) और अन्य प्रमाणन प्राप्त करने की दिशा में काम करना होगा।
सरकारी नीतियाँ: भारतीय सरकार को EUDR के प्रभाव को कम करने के लिए नई व्यापार नीतियाँ और सहायता योजनाएँ लागू करनी होंगी।
7. निष्कर्ष और आगे की राह
EUDR भारत के लिए एक चुनौती भी है और एक अवसर भी। यदि भारतीय उद्योग इस कानून के अनुरूप अपने उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को सुधारने में सफल होते हैं, तो यह भारत के व्यापार को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकता है। इसके अलावा, भारत और EU के बीच व्यापार सहयोग और बढ़ सकता है, जिससे भारत के निर्यात को लाभ मिल सकता है।
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