कूड़ा निस्तारण केंद्र
"कूड़ा निस्तारण केंद्र" एक स्थान होता है जहाँ प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से कूड़े, कचरे और अन्य प्रदूषण करकरों को प्रबंधित किया जाता है। ये केंद्र बड़े पैमाने पर नगरीय क्षेत्रों में स्थापित होते हैं जहाँ बड़ी मात्रा में कूड़ा-कचरा पैदा होता है और इसका सही तरीके से प्रबंधन किया जाना आवश्यक होता है।
"कूड़ा निस्तारण केंद्र" एक स्थान होता है जहाँ प्रदूषण के प्रकारों में से एक, यानी कूड़ा (सूचागृह, अपशिष्ट आदि) को सुरक्षित और स्वच्छ ढंग से प्रबंधित किया जाता है। ये केंद्र आमतौर पर शहरों और नगरों में स्थापित किए जाते हैं ताकि उनके प्रदूषण प्रबंधन के लिए एक स्थिर माध्यम हो सके।
कूड़ा निस्तारण केंद्रों का काम कूड़े को एक निश्चित स्थल पर संग्रहण करना, इसके बाद उसे स्थानीय प्राधिकृत तरीकों से सेग्रीगेट करके उपयुक्त तरीके से प्रबंधित करना होता है। यह प्रक्रिया कूड़े की अधिक मौजूदगी को रोकती है, पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करती है, और स्थानीय समुदाय को स्वच्छता और स्वास्थ्य की दिशा में मदद करती है।
कूड़ा निस्तारण केंद्र विभिन्न प्रकार के तंत्रों और प्रक्रियाओं का उपयोग करते हैं, जैसे कि बिन प्रदूषण तंत्र, जैविक उपचार प्रणाली, विशिष्ट स्थानों पर बिन प्रदूषण संग्रहण, आदि।
कूड़ा निस्तारण केंद्र के माध्यम से हम समुदाय को प्रदूषण प्रबंधन की महत्वपूर्ण जागरूकता प्रदान करते हैं और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाते हैं।
शहर में कूड़ा निस्तारण केंद्र की शुरुआत
इसे देखते हुए अब मुजेड़ी रोड पर कूड़ा स्थानांतरण केंद्र बनाया गया है। जगह-जगह एकत्र कूड़े को रिक्शा व हुक लोडर से बड़ी गाडिय़ों द्वारा स्थानांतरण केंद्र तक पहुंचाया जाएगा। यहां से कूड़े को गाडिय़ों में पैक कर बंधवाड़ी कूड़ा निस्तारण प्लांट पर भेजा जाएगा।
सात महीने बाद भी शुरू नहीं हो सका... 70 लाख से बना कूड़ा निस्तारण केंद्र, बीमारी फैलने का डर
छिबरामऊ नगर क्षेत्र में 2011-12 की जनगणना के अनुसार करीब 65000 लोग की आबादी थी. वहीं वर्तमान में अब यहां की आबादी करीब एक लाख पहुंच गई है. प्रतिदिन नगर से करीब 1.50 मेट्रिक टन कचरा निकलता है. पहले इस कचरे को सड़क किनारे डलवाया जाता था. आसपास गंदगी होने पर कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाने के लिए गांव कमालपुर में जगह चिन्हित की गई थी
10 गांवों में कूड़ा निस्तारण केंद्र को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया तेज
वित्तीय वर्ष 2022-23 में ओडीएफ प्लस की उत्कृष्ट श्रेणी (मॉडल) के ग्राम बनाए जाने के लिए जिले के 108 ग्राम पंचायतों के 164 गांवों को चिह्नित किया गया है। यह सभी गांव पांच हजार से अधिक आबादी वाले हैं। इसमें राजस्व गांव के साथ ही संबंधित ग्राम पंचायत के सभी राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किया गया है। इन गांवों में ओडीएफ स्थायित्व, ठोस व तरल अपशिष्ट, प्लास्टिक, गोबर इत्यादि के प्रबंधन हेतु निर्मित शौचालयों का समुचित उपयोग निर्धारित किया जाएगा। इसके अलावा व्यक्तिगत शौचालय निर्माण, सामुदायिक शौचालय निर्माण, प्रयोग व रख-रखाव, कूड़ा संग्रहण केंद्र, कूड़ा संग्रहण हेतु ई-रिक्शा वाहनों की खरीद आदि के इंतजाम किए जाएंगे। विकास खंड स्तरीय प्लास्टिक एकत्रीकरण एवं प्रबंधन केंद्र भी संचालित होगा। यह सभी कार्य बुलंदशहर जिले के शहजादपुर कनैनी गांव की तर्ज पर होगा। अधिकारियों की मानें तो पहले चरण में 10 गांवों को मॉडल ओडीएफ बनाने के लिए शासन की ओर से 693.73 लाख स्वीकृत है। अब इसके धरातल पर उतारने की प्रक्रिया चल रही है। प्रयास है कि प्रत्येक गांव में कम से कम 300 वर्ग मीटर जमीन उपलब्ध हो। यह कार्य भी अंतिम दौर में है।
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