Tuesday, June 24, 2025

पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 और ई‑पासपोर्ट"

 भूमिका (Introduction)

आज के वैश्विक युग में, जब दुनिया एक वैश्विक गाँव में परिवर्तित हो चुकी है, तो अंतर्राष्ट्रीय यात्रा, व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा और अन्य उद्देश्यों के लिए पासपोर्ट एक आवश्यक दस्तावेज़ बन चुका है। किसी भी देश का पासपोर्ट उस देश के नागरिकों की अंतर्राष्ट्रीय पहचान और उसके राजनयिक संबंधों का प्रतीक होता है। भारत जैसे विशाल और जनसंख्या-बहुल देश में पासपोर्ट सेवाओं को कुशल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना एक बड़ी चुनौती रहा है।

इस चुनौती का समाधान निकालने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक सुधार किए गए हैं, जिनमें से सबसे नवीन और महत्त्वपूर्ण पहल "पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0" और "ई‑पासपोर्ट" हैं। इन पहलों का उद्देश्य न केवल प्रक्रिया को सरल बनाना है, बल्कि नागरिकों को विश्व स्तरीय सेवा देना भी है। डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो न केवल पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को तेज और सुरक्षित बनाता है, बल्कि इससे भारत की वैश्विक छवि भी सशक्त होती है।

पासपोर्ट सेवा का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत में पासपोर्ट प्रणाली की शुरुआत औपनिवेशिक काल से मानी जाती है, परंतु स्वतंत्रता के बाद इसे एक व्यवस्थित रूप में स्थापित किया गया। पहले पासपोर्ट प्राप्त करने में अत्यधिक समय, कागजी कार्यवाही और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ थीं। इसके समाधान हेतु भारत सरकार ने 2007 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के सहयोग से पासपोर्ट सेवा परियोजना (Passport Seva Project - PSP) की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSKs) और फिर आगे जाकर पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSKs) की स्थापना की गई।

वर्ष 2023–24 में भारत सरकार ने इस व्यवस्था को और बेहतर बनाने हेतु पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा एनालिटिक्स और मोबाइल एप्स के माध्यम से आम नागरिकों को तेज, सुरक्षित और पारदर्शी सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया गया।

ई-पासपोर्ट की आवश्यकता

वर्तमान में, जब साइबर सुरक्षा, पहचान चोरी, और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा बड़े मुद्दे बन चुके हैं, तब पासपोर्ट जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज को भी हाई-टेक बनाना अनिवार्य हो गया है। विकसित देशों में पहले से ही ई‑पासपोर्ट (electronic passport) का प्रचलन है। भारत में भी इसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। ई‑पासपोर्ट एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी एक एम्बेडेड चिप में सुरक्षित रूप से संग्रहित होती है, जिससे उसे नकली बनाना या उससे छेड़छाड़ करना लगभग असंभव हो जाता है।

वर्ष 2022 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने ई‑पासपोर्ट की घोषणा की थी और इसके पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई। 2023 में भारत सरकार ने इसे बड़े स्तर पर लागू करना शुरू कर दिया, जिसके बाद से लाखों भारतीयों को ई‑पासपोर्ट जारी किए गए हैं।

इन पहलों का महत्व

पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 और ई‑पासपोर्ट न केवल प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाते हैं, बल्कि यह भारत सरकार की "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" (Minimum Government, Maximum Governance) की नीति का भी प्रमाण हैं। यह नीतियाँ नागरिकों को सशक्त बनाती हैं और सरकारी सेवाओं के प्रति उनका विश्वास बढ़ाती हैं।

इन पहलों से—

  • आवेदन प्रक्रिया आसान होती है,

  • प्रसंस्करण समय कम होता है,

  • सेवा पारदर्शी होती है,

  • डेटा सुरक्षा में बढ़ोतरी होती है,

  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि उन्नत होती है।

यह नवाचार भारत की डिजिटल यात्रा का अहम पड़ाव है, जो न केवल प्रशासन को आधुनिक बनाता है, बल्कि नागरिकों के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव डालता है।

 पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 – उद्देश्य और विशेषताएँ (Passport Seva Programme 2.0: Objectives and Features)

भारत सरकार द्वारा पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (Passport Seva Programme - PSP) की शुरुआत 2008 में नागरिकों को कुशल, पारदर्शी, समयबद्ध और सुलभ पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। यह कार्यक्रम डिजिटल इंडिया अभियान का भी एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। लेकिन समय के साथ तकनीक के विकास और जनसंख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए PSP को और अधिक आधुनिक बनाने की आवश्यकता महसूस की गई, जिसका परिणाम है – पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 (PSP 2.0)

यह कार्यक्रम एक व्यापक तकनीकी पुनर्रचना है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके पासपोर्ट सेवाओं को अगले स्तर पर ले जाता है।


1. कार्यक्रम के उद्देश्य (Objectives)

i. प्रक्रिया का सरलीकरण और डिजिटलीकरण
PSP 2.0 का मुख्य उद्देश्य पासपोर्ट से संबंधित समस्त प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाना है, ताकि व्यक्ति को फॉर्म भरने, दस्तावेज़ अपलोड करने, अपॉइंटमेंट लेने और भुगतान जैसी सभी सुविधाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हो सकें।

ii. नागरिक-केंद्रित सेवा
यह कार्यक्रम नागरिकों को केंद्र में रखकर बनाया गया है, ताकि उनकी सुविधा, पारदर्शिता और फीडबैक के आधार पर सेवाओं में लगातार सुधार हो।

iii. दक्षता और पारदर्शिता में सुधार
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रक्रियाओं को ऑटोमेट किया गया है जिससे मानव त्रुटियों की संभावना कम होती है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है।

iv. डेटा सुरक्षा और गोपनीयता
क्लाउड तकनीक और ब्लॉकचेन आधारित सिस्टम के ज़रिए नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।

v. सेवा वितरण का विस्तार
दूरदराज़ क्षेत्रों तक सेवा पहुँचाने हेतु डाकघरों, कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) और मोबाइल पासपोर्ट सेवा केंद्रों का उपयोग बढ़ाया जा रहा है।


2. मुख्य विशेषताएँ (Key Features)

i. डिजिटल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम (DDVS)
अब दस्तावेजों का सत्यापन डिजिटल रूप से किया जाता है, जिससे फर्जी दस्तावेजों की पहचान आसान होती है और प्रक्रिया तेज होती है।

ii. उन्नत ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल ऐप
नया पासपोर्ट सेवा पोर्टल (https://www.passportindia.gov.in) और मोबाइल ऐप (mPassport Seva) उपयोगकर्ता को आवेदन, भुगतान, ट्रैकिंग और पुनर्निर्धारण जैसी सेवाएं मोबाइल पर भी देता है।

iii. कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित ट्रैकिंग और विश्लेषण
AI आधारित सिस्टम के माध्यम से आवेदन की स्थिति का स्वत: विश्लेषण किया जाता है और संभावित देरी को पहले ही पहचाना जा सकता है।

iv. वीडियो KYC और बायोमीट्रिक पहचान
अब आवेदकों की पहचान की पुष्टि के लिए वीडियो KYC और डिजिटल बायोमीट्रिक्स का प्रयोग किया जा रहा है जिससे फिजिकल उपस्थिति की आवश्यकता कम होती है।

v. एकीकृत आपराधिक रिकॉर्ड सिस्टम से लिंक
आवेदकों के आपराधिक इतिहास की जाँच पुलिस और न्याय प्रणाली के डिजिटल डेटाबेस से स्वतः होती है।

vi. पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSKs)
देशभर में हजारों डाकघरों को पासपोर्ट सेवा केंद्रों के रूप में बदला गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग पासपोर्ट सेवाओं का लाभ ले सकें।

vii. त्वरित सेवा तंत्र (Tatkal Integration)
PSP 2.0 के अंतर्गत तात्कालिक आवेदनों को भी ऑनलाइन प्राथमिकता दी जाती है और एक–दो दिनों में पासपोर्ट जारी किया जा सकता है।


3. तकनीकी बुनियादी ढाँचा (Technology Infrastructure)

PSP 2.0 के लिए एक समर्पित डेटा सेंटर, क्लाउड-सर्वर, बैकअप सुविधा, साइबर-सुरक्षा प्रोटोकॉल और आधुनिक डैशबोर्ड प्रणाली तैयार की गई है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) इस पूरे तंत्र का तकनीकी सहयोगी है।

मुख्य प्रौद्योगिकियाँ:

  • क्लाउड कंप्यूटिंग

  • एआई/एमएल एल्गोरिद्म

  • आईआरआईएस और फिंगरप्रिंट स्कैनिंग

  • मोबाइल ओटीपी और फेस रिकग्निशन

  • डिजिटल सिग्नेचर वेरिफिकेशन


4. लाभ (Benefits)

लाभ विवरण
तेज सेवा आवेदन से लेकर पासपोर्ट डिलीवरी तक का समय बहुत कम हो गया है
सुलभता ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक भी अब अपने नज़दीकी डाकघर से पासपोर्ट बना सकते हैं
पारदर्शिता प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की संभावना न्यूनतम हो गई है
सुरक्षा डेटा एनक्रिप्शन और साइबर सुरक्षा के चलते नागरिकों की जानकारी सुरक्षित है
नवाचार भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने अत्याधुनिक पासपोर्ट सेवा प्रणाली अपनाई है

5. चुनौतियाँ (Challenges)

  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में इंटरनेट की सीमित पहुँच

  • नागरिकों में डिजिटल साक्षरता की कमी

  • पुलिस सत्यापन प्रक्रिया में देरी

  • डेटा गोपनीयता से संबंधित चिंताएँ

  • साइबर हमलों की आशंका


6. समाधान और सुधार की दिशा

  • डिजिटल लिटरेसी अभियानों का संचालन

  • पुलिस सत्यापन में AI आधारित पूर्वानुमान प्रणाली का विकास

  • सर्वर क्षमता को और अधिक बढ़ाना

  • नियमित साइबर सुरक्षा ऑडिट


निष्कर्ष (Conclusion)

पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 भारत सरकार का एक क्रांतिकारी कदम है, जो प्रशासन को डिजिटल और नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह न केवल सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि भारत की वैश्विक पहचान को भी मजबूती प्रदान करता है।


 ई‑पासपोर्ट – परिभाषा, तकनीक और वैश्विक मानक

(E-Passport: Definition, Technology & Global Standards)

1. ई‑पासपोर्ट क्या है? (What is an E‑Passport?)

ई‑पासपोर्ट एक इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट है, जिसमें एक छोटे आकार की इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप लगी होती है। यह चिप पासपोर्ट धारक की बायोमेट्रिक जानकारी (जैसे—फोटो, फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन आदि), व्यक्तिगत विवरण (नाम, जन्मतिथि, पासपोर्ट संख्या) और डिजिटल सिग्नेचर को सुरक्षित रूप से स्टोर करती है।

ई‑पासपोर्ट देखने में बिल्कुल सामान्य पासपोर्ट जैसा ही होता है, लेकिन इसके पहले पृष्ठ के अंदर एक एम्बेडेड चिप और अंतरराष्ट्रीय ई-पासपोर्ट चिन्ह (e-passport symbol) होता है।

यह चिप पासपोर्ट की प्रामाणिकता को सत्यापित करने में सहायक होती है और नकली पासपोर्ट बनाना लगभग असंभव हो जाता है।


2. तकनीकी संरचना (Technical Structure of an E-Passport)

ई‑पासपोर्ट में प्रयुक्त माइक्रोचिप एक विशेष प्रकार की RFID (Radio Frequency Identification) तकनीक पर कार्य करती है, जिसे संपर्क रहित तरीके से पढ़ा जा सकता है।

मुख्य तकनीकी अवयव:

अवयवकार्य
RFID चिपपासपोर्ट धारक की डिजिटल जानकारी स्टोर करती है
बायोमेट्रिक डेटाफोटो, फिंगरप्रिंट, सिग्नेचर, आदि
PKI (Public Key Infrastructure)डिजिटल प्रमाणन और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है
BAC (Basic Access Control)पासपोर्ट स्कैनिंग को अधिकृत सीमा पर ही संभव बनाता है

चिप की सुरक्षा:

  • चिप के अंदर मौजूद डेटा एन्क्रिप्टेड होता है।

  • नकली चिप बनाना लगभग असंभव होता है।

  • डिजिटल सिग्नेचर से यह प्रमाणित होता है कि पासपोर्ट वैध है और सरकारी तंत्र द्वारा जारी किया गया है।


3. वैश्विक मानक और ICAO के दिशा-निर्देश

ई‑पासपोर्ट प्रणाली को लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) ने विशेष दिशानिर्देश और मानक तय किए हैं।

ICAO के मानक क्या कहते हैं?

  • पासपोर्ट में Machine Readable Zone (MRZ) होना अनिवार्य है।

  • RFID चिप को ICAO के Doc 9303 मानक के अनुरूप प्रोग्राम किया जाना चाहिए।

  • चिप डेटा को PKI तकनीक से सुरक्षित रखना चाहिए।

  • देश की तरफ से Country Signing Certificate Authority (CSCA) जारी होना चाहिए।

भारत सरकार का ई‑पासपोर्ट भी इन वैश्विक मानकों पर खरा उतरता है।


4. भारत में ई‑पासपोर्ट की शुरुआत

भारत में ई‑पासपोर्ट की शुरुआत सबसे पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वर्ष 2008 में हुई थी, जिसमें राजनयिक और आधिकारिक स्तर के पासपोर्ट धारकों को ई‑पासपोर्ट जारी किए गए।

वित्त वर्ष 2022–23 के आम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की, जिसके बाद 2023 से आम नागरिकों के लिए ई-पासपोर्ट रोलआउट प्रारंभ हुआ।

ई-पासपोर्ट निर्माण की जिम्मेदारी:

भारत में ई‑पासपोर्ट के निर्माण के लिए इंडिया सिक्योरिटी प्रेस, नासिक को जिम्मेदारी दी गई है, जहाँ अत्याधुनिक मशीनों और सुरक्षा मानकों के अनुसार पासपोर्ट बनाए जाते हैं।


5. ई‑पासपोर्ट की विशेषताएँ (Features of E-Passport)

विशेषताविवरण
संपर्क रहित चिपRFID चिप में सुरक्षित रूप से जानकारी संचित
डिजिटल सिग्नेचरपासपोर्ट के सत्यापन के लिए डिजिटल प्रमाण
तेज इमिग्रेशनऑटोमैटिक पासपोर्ट रीडर मशीनों से स्कैनिंग
फर्जीवाड़े से सुरक्षाडेटा की एन्क्रिप्शन से क्लोनिंग असंभव
अंतरराष्ट्रीय मान्यताICAO द्वारा मान्यता प्राप्त

6. ई-पासपोर्ट प्रक्रिया में कैसे मदद करता है?

i. हवाई अड्डों पर तेज प्रक्रिया

ई-पासपोर्ट के माध्यम से इमिग्रेशन प्रक्रिया में ऑटोमेशन आता है। अब व्यक्ति को लंबी कतार में खड़े रहने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक गेट्स और स्कैनर चिप को पढ़कर जानकारी स्वतः प्राप्त कर लेते हैं।

ii. डेटा की सुरक्षा

माइक्रोचिप में मौजूद सभी डेटा एन्क्रिप्टेड होता है, जिससे पासपोर्ट धारक की पहचान और दस्तावेजों की गोपनीयता सुरक्षित रहती है।

iii. वैश्विक यात्रा में सुविधा

ई-पासपोर्ट को अब अमेरिका, यूके, यूरोप, जापान, सिंगापुर, जैसे देशों में विशेष प्राथमिकता मिलती है, और कई स्थानों पर फास्ट-ट्रैक एंट्री की सुविधा भी दी जाती है।


7. भारत में लागू प्रणाली की स्थिति (Implementation in India)

  • अब तक लाखों ई-पासपोर्ट जारी हो चुके हैं।

  • चुनिंदा पासपोर्ट सेवा केंद्रों (जैसे दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, पुणे) में यह प्रणाली पहले से ही चालू है।

  • आगामी वर्षों में सभी नए पासपोर्ट ई-पासपोर्ट ही होंगे।


8. चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतीसमाधान
तकनीकी अवसंरचना की कमीअधिक उन्नत पासपोर्ट प्रिंटिंग केंद्र स्थापित करना
नागरिकों में जागरूकता की कमीजन-जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम
डेटा सुरक्षा को लेकर शंकासाइबर सुरक्षा और गोपनीयता नीति का सख्त अनुपालन

9. निष्कर्ष

ई‑पासपोर्ट भारत में डिजिटल पहचान और स्मार्ट प्रशासन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा मिलती है, बल्कि देश की सुरक्षा प्रणाली भी मज़बूत होती है। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने वाला यह पासपोर्ट भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक बन चुका है।

भारत सरकार द्वारा इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है ताकि देश का हर नागरिक इस आधुनिक तकनीक से लाभान्वित हो सके।


Thursday, June 19, 2025

Labour Welfare Fund (LWF) deduction from corporate employee's salary. Monthly Deduction of ₹31/- Towards Labour Welfare Fund (LWF)- Haryana

Yes, in Haryana, the Labour Welfare Fund (LWF) deduction is applicable to corporate white-collar employees, provided they meet the eligibility criteria outlined in the Haryana Labour Welfare Fund Act.

if a corporate employee's salary falls within the LWF's wage bracket and the establishment is covered by the Act, the LWF deduction is applicable.


  1. Scope of the Labour Welfare Fund Act:
    The LWF was originally introduced to extend welfare benefits to industrial workers and factory laborers. It does not universally apply to all categories of employees in every type of establishment.

  2. Corporate Employees vs. Industrial Workers:
    The nature and purpose of the LWF primarily address the welfare needs of blue-collar workers. Applying this deduction to white-collar employees in corporate office settings—especially those in managerial or supervisory roles—appears inconsistent with the intent of the Act.

  3. Haryana LWF Provisions:
    While it is acknowledged that the Haryana Labour Welfare Fund Act extends to certain categories of corporate employees, the applicability is subject to:

    • The establishment being covered under the Act.

    • The employee falling within the prescribed wage ceiling (currently ₹15,000/-) and not holding a managerial or supervisory position.

  4. Exclusion Clause:
    As per the Act, employees earning above ₹15,000/- per month or working in a managerial/supervisory capacity are explicitly excluded from LWF deductions.


Conclusion 

The blanket deduction of ₹31/- for LWF from all corporate employees' salaries, without assessing their eligibility based on role and income, appears to be non-compliant with the provisions of the applicable Labour Welfare Fund legislation.