Friday, April 24, 2020

Strategy to crack down IIT-JEE / NEET during Covid 19- Online Classes Vs Offline Classes-कर कुछ ऐसा कि दुनिया बनना चाहे तेरे जैसा

आत्मनिर्भर भारत

जो समय की कद्र  नहीं करता समय उसकी कद्र  नहीं करता 

हमें परिस्थितियों के हिसाब से अपने आप में कुछ बदलाव करने पड़ते है और कई बार परिस्थिति के मुताबिक सही समय पर निर्णय लेने पड़ते है. अगर हम अपनी life में सही समय पर निर्णय नहीं लेंगे तो मुसीबत / परेशानी बढ़ती चली जायेगी।

जब भी संघर्ष आए तो हमें हमारी जड़ें मजबूत करनी चाहिए, निराश नहीं होना चाहिए।

Strategy to crack down IIT-JEE during Covid 19

Online Classes Vs Offline Classes

चुकी परीक्षा होती है  और कुछ लोग तो सफल होते है  और वो सफल लोग वही होते हे जो परीक्षा में भाग लेते है  और समय का पूर्ण उपयोग कर Strategy  के साथ  कठिन समय में अपनी तैयारी जारी  रखते है।



कुछ लोग अपने comfort  zone  से बाहर नहीं निकल पाते  और नए नए  बहाने ढूंढते रहते है। समय के साथ  और परिस्थितियां के साथ बदलाव को अपनाने से ही लक्ष्य की प्राप्ति होगी।


आगे बढ़ाना है तो छोड़िए बहाने बनाना

“नजर को बदलो तो नजारे बदल जाते हैं
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते हैं
कश्तियाँ बदलने की जरूरत नहीं
दिशा को बदलो किनारे खुद ब खुद बदल जाते हैं”


जीवन में समस्याएं तो चलती रहेंगी, तुमको अपने प्रयासों से इन परेशानियों से पार पाना है। अगर किनारे बैठ कर नदी का पानी सूखने का इंतजार करोगे तो जीवन भर कुछ नहीं पा सकोगे। पानी तो बहता रहेगा, समस्या तो आती रहेंगी लेकिन आपको नदी की धार को चीरते हुए आगे जाना होगा, हर समस्या को धराशायी करना होगा। तभी जीवन में आगे बढ़ सकोगे।

सपने तुम्हारे है तो पूरा भी तुम ही करोगे। ना ही हालत तुम्हारे हिसाब से होंगे और ना लोग !

It is the attitude that makes the difference

सभी बच्चो के पास 24 महीने  है IIT -JEE /Medical /NEET  की तैयारी   लिए। अगर Covid 19 lockdown  में ये सोचने में ही लगा दिया की जब ऑफ लाइन क्लासेज शुऊ  होंगी  तब हम तैयारी  शुरू करेंगे. तो यकींन  मानिये  आप बहुत पीछे  रह जाएगे ।  IIT -JEE / NEET  में 1  Number   का  फर्क होने पर भी बच्चो  के percentile  में बहुत  फर्क होता देखा है। IIT  1 Number  से छूटते देखा है।  एक एक मिनिट  कीमती  है। 

सच तो यह है की अभी बच्चो जो भी अभी  ऑनलाइन ट्रेनिंग available  हो ज्वाइन करनी  चाहिए। 



ऑनलाइन ट्रेनिंग में जोखिम है।  जोखिम से न डरे
इतना अच्छा पर्दर्शन करे कि आने वाला कल आज से भी अच्छा हो

You Tube  पर वीडियो  available  है  पर डेटा  quality  की समस्या  है।  सही  ज्ञान  और सही  दिशा  किए  गए  प्रयासों से ही सफलता मिल सकती है।

The difference between ordinary and extraordinary is a little EXTRA

To change is to risk something that makes us insecure. Not to change is a bigger risk, but it seldom feels that way.

अभी ऑनलाइन ट्रेनिंग का ट्रेंड है। तो अभी बच्चो जो भी ऑनलाइन ट्रेनिंग available  हो ज्वाइन करनी  चाहिए।

You can not change the direction of the wind , but you can always adjust your sails


ऊपर तो IIT और NEET की बात हो रही है। तो जो बच्चे अभी 9th ,10th ,11th और 12th Board में है या just Passout हुए है Civil Services या अन्य किसी और एग्जाम की तैयारी कर रहे है वो क्या करे।

अभी मिथ के भ्रम  में रहकर समय न गवाए। लक्ष्य को निर्धारित करे और अभी से तैयारी शुरू करे। सही लक्ष्य के साथ सही दिशा में उठाए कदम ही जीवन में सफलता की ओर ले जाते है।

कुछ  लोग  अभी भी  पैसे  के मोल  भाव  में लगे  रहते  है  सभी लोग बड़े  होकर इंजीनियर  डॉक्टर बन  लाखो कमाना चाहते है  पर  गुरुओ  को  पैसे  नहीं देना चाहते  और  मोल  भाव  में लगे में लगे रहते  है और कुछ  पैसे  बचने के  चक्कर  में सही गुरु का चुनाव नहीं करते।

अपनी ऊपर कही बात के लिए एक स्टोरी लिख  रहा हूँ। 

जीवन में बढने के लिए जरुरी है सही दिशा ..... 

एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा- चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है। टैक्सी वाले नेँ कहा- 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान आदमी नेँ बुद्दिमानी दिखाते हुए कहा- इतने पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा।

वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बाद पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा – भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे? टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 400 रुपये। उस आदमी नेँ फिर कहा- पहले दो सौ रुपये, अब चार सौ रुपये, ऐसा क्योँ।
टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँ मँदिर तो दुसरी तरफ है। उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठ गया। 

दिशा सही होनेँ पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत का कोई लाभ नहीं मिल पायेगा। इसीलिए दिशा तय करेँ और आगे बढ़ेँ कामयाबी आपके हाथ जरुर थामेगी। . .


Remember 


Without Self –Discipline Success is impossible
The journey to 100 miles begins with a single step.
Push yourself because, no one else is going to do it for you.
“Winners never quit and quitters never win”  
जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते
Nothing great has ever been achieved without enthusiasm
The difference between ordinary and extraordinary is a little EXTRA
It is the attitude that makes the difference





Tuesday, April 7, 2020

Does God exist

In 1902, a professor asked his student whether it was God who created everything that exists in the universe ? 

Student replied: Yes

He again asked: what about evil ?

Has God created evil also?

The student got silent....

Then the student requested that may he ask a question for him?

Professor allowed him to do so.

He asked: Does cold exist? 

Professor said : yes ! Don't u feel the cold dear?

Student said: I'm sorry but you are wrong Sir. Cold is a complete absence of heat. There is no cold, it is only an absence of heat.

Student asked again: Does darkness exist? 

Professor said: yes !

Student replied: you are again wrong Sir. There is no such thing like darkness. Its actually the absence of light. Sir ! We always study light & heat, but not cold & darkness. 

Similarly, the evil does not exist. 

Actually it is the absence of love, faith & true belief in God.

That student was Albert Einstein...!!!

Sunday, April 5, 2020

ऐसा नही है कि हमेशा जीत तेज और चालक की होती है। जीत उसी की होती है जिसे विश्वास है कि वो जीतेगा

जापान में पुरानी कथा है।
एक छोटे से राज्य पर एक बड़े राज्य ने आक्रमण कर दिया।
उस राज्य के सेनापति ने राजा से कहा कि आक्रमणकारी सेना के पास बहुत संसाधन है हमारे पास सेनाएं कम है संसाधन कम है हम जल्दी ही हार जायेंगे बेकार में अपने सैनिक कटवाने का कोई मतलब नहीं। इस युद्ध में हम निश्चित हार जायेंगे और इतना कहकर सेनापति ने अपनी तलवार नीचे रख दिया।
अब राजा बहुत घबरा गया अब क्या किया जाए, फिर वह अपने राज्य के एक बूढे फकीर के पास गया और सारी बातें बताई।

फकीर ने कहा उस सेनापति को फौरन हिरासत में ले लो उसे जेल भेज दो। नहीं तो हार निश्चित है।
यदि सेनापति ऐसा सोचेगा तो सेना क्या करेंगी।
आदमी जैसा सोचता है वैसा हो जाता है।
फिर राजा ने कहा कि युद्ध कौन करेगा।
फकीर ने कहा मैं,
वह फकीर बूढ़ा था, उसने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा था और तो और वह कभी घोड़े पर भी कभी चढ़ा था। उसके हाथ में सेना की बागडोर कैसे दे दे।
लेकिन कोई दूसरा चारा न था।
वह बूढ़ा फकीर घोड़े पर सवार होकर सेना के आगे आगे चला।
रास्ते में एक पहाड़ी पर एक मंदिर  था। फकीर सेनापति वहां रुका और सेना से कहा कि पहले मंदिर के देवता से पूछ लेते हैं कि हम युद्ध में जीतेंगे कि हारेंगे।
सेना हैरान होकर पूछने लगी कि देवता कैसे बतायेंगे और बतायेंगे भी तो हम उनकी भाषा कैसे समझेंगे।
बूढ़ा फकीर बोला ठहरो मैंने आजीवन देवताओं से संवाद किया है मैं कोई न कोई हल निकाल लूंगा। 
फिर फकीर अकेले ही पहाड़ी पर चढा और कुछ देर बाद वापस लौट आया।
फकीर ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर के देवता ने मुझसे कहा है कि यदि रात में मंदिर से रौशनी निकलेगी तो समझ लेना कि दैविय शक्ति तुम्हारे साथ है और युद्ध में अवश्य तुम्हारी जीत हासिल होगी।

सभी सैनिक साँस रोके रात होने की प्रतीक्षा करने लगे। रात हुई और उस अंधेरी रात में मंदिर से प्रकाश छन छन कर आने लगा ।
सभी सैनिक जयघोष करने लगे और वे युद्ध स्थल की ओर कूच कर गए ।
21 दिन तक घनघोर युद्ध हुआ फिर सेना विजयी होकर लौटीं।

रास्ते में वह मंदिर पड़ता था।
जब मंदिर पास आया तो सेनाएं उस बूढ़े फकीर से बोली कि चलकर उस देवता को धन्यवाद दिया जाए जिनके आशीर्वाद से यह असम्भव सा युद्ध हमने जीता है।
सेनापति बोला कोई जरूरत नहीं ।।
सेना बोली बड़े कृतघ्न मालूम पड़ते हैं आप जिनके प्रताप से आशीर्वाद से हमने इस भयंकर युद्ध को जीता उस देवता को धन्यवाद भी देना आपको मुनासिब नही लगता।
तब
उस बूढ़े फकीर ने कहा , वो दीपक मैंने ही जलाया था जिसकी रौशनी दिन के उजाले में तो तुम्हें नहीं दिखाई दिया पर रात्रि के घने अंधेरे में तुम्हे दिखाई दिया।
तुम जीते क्योंकि तुम्हे जीत का ख्याल निश्चित हो गया।
विचार अंततः वस्तुओं में बदल जाती है।
विचार अंततः घटनाओं में बदल जाती है।